
सहारनपुर नगर निगम में GIS सर्वे को लेकर सियासी घमासान चरम पर, विपक्षी पार्षदों ने भाजपा विधायक से बनाई दूरी, आंदोलन की चेतावनी से प्रशासन में मचा हड़कंप
सहारनपुर नगर निगम इन दिनों GIS (जियोग्राफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम) सर्वे को लेकर भारी विवादों में है। यह सर्वे जिस उद्देश्य से कराया गया, अब वही जनता और पार्षदों के आक्रोश का कारण बन गया है। शहर में नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। विपक्षी पार्षदों का कहना है कि सर्वे में भारी गड़बड़ी हुई है—गलत आंकलन, मनमाना टैक्स निर्धारण, संपत्ति विवरण में त्रुटियां, और बिलों की डुप्लिकेट एंट्री जैसी तकनीकी खामियों के चलते आम जनता का जीना मुश्किल हो गया है। विरोध की अगुवाई कर रहे पार्षद अभिषेक टिंकू अरोड़ा ने नगर निगम के बाहर धरना शुरू कर दिया है, वहीं पार्षद मंसूर बदर ने खुली चेतावनी दी है कि अगर सर्वे निरस्त नहीं किया गया तो वे उग्र आंदोलन करेंगे।
चौंकाने वाली बात यह है कि सभी विरोधी पार्षद भाजपा विधायक राजीव गुम्बर से खुलकर दूरी बना रहे हैं, जिससे यह साफ हो गया है कि यह आंदोलन राजनीतिक समीकरणों से हटकर पूरी तरह जनहित में किया जा रहा है। विरोध कर रहे पार्षदों में अभिषेक टिंकू अरोड़ा, मंसूर बदर, सईद सिद्दीकी, इजहार मंसूरी, समीर अंसारी, जफर अंसारी और जावेद गाडा प्रमुख रूप से शामिल हैं। पार्षदों का आरोप है कि GIS सर्वे जनता की राय के बगैर थोप दिया गया और इसके पीछे टैक्स वसूली को नया आधार बनाने की मंशा छिपी है। अब यह मुद्दा न सिर्फ नगर निगम में गरमाया है, बल्कि इसे विधानसभा तक पहुंचाने की तैयारी हो चुकी है।
विपक्षी पार्षदों की मानें तो GIS सर्वे ने जनता के निजी रिकॉर्ड में सेंधमारी की है, और यह सर्वे पूरी तरह से पारदर्शिता से दूर रहा है। अब जनता के विरोध और पार्षदों के दबाव के चलते यह मामला राजनीतिक रूप से भी बड़ा रूप ले चुका है। महापौर की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं कि वे विपक्षी पार्षदों की बात सुनने को तैयार नहीं और निगम प्रशासन से जवाबदेही नहीं ले पा रहे। यदि जल्द ही समाधान नहीं निकला तो GIS सर्वे का मुद्दा भाजपा की नगर निगम में स्थायी साख को भी नुकसान पहुंचा सकता है। पार्षदों की यह भी मांग है कि सर्वे रद्द करने के साथ ही सर्वे में शामिल निजी कंपनी की जवाबदेही तय की जाए।
कुल मिलाकर, GIS सर्वे पर उठे विवाद ने नगर निगम की राजनीति को नए मोड़ पर ला खड़ा किया है। यह मुद्दा केवल कर निर्धारण का नहीं, बल्कि पारदर्शिता, जनहित और प्रशासनिक जवाबदेही से भी जुड़ चुका है। यदि समय रहते निगम और शासन ने उचित निर्णय नहीं लिया, तो विपक्ष के नेतृत्व में यह मुद्दा सहारनपुर की सड़कों से लेकर विधानसभा तक एक बड़े जनांदोलन में तब्दील हो सकता है।
🖊️ रिपोर्टर: एलिक सिंह
संपादक – वंदे भारत LIVE TV न्यूज़
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